रक्त पिशाचों का कहर, पिशाचों की डरावनी कहानी

रक्त पिशाचों का कहर पिशाचों की डरावनी कहानी. Thriller Blood Vampires Horror Story in Hindi. Read your own risk. This story is based on vampires. Ghost story in Hindi.

पिशाचों की शुरुआत (Vampire Horror Story Hindi)

रक्त पिशाचों का कहर, पिशाचों की डरावनी कहानी Blood Vampires Horror Story in Hindi.

ये बात आज से लगभग 200 साल पहले की है। जब पूरी दुनिया में धीरे-धीरे ये खबर फैलने लगी की कोई इंसानो का खून पीकर उन्हें मार दे रहा है।

और वो दिन ज्यादा दूर नहीं था जब ये खबर हमारे राज्य में गूजने लगी।

लोगों में ये खबर बहुत तेजी से फैलने लगी। प्रेत जैसे डरावने लोग जिनके 2 बड़े दांत है वो हमारे राज्य में घुस आएं हैं।

उनके बारें में ये भी वहां के लोग कहते थे की वो हवा की तरह तेज हैं। कुछ दिन बाद ही ये बातें सच होती दिखाई देने लगी।

प्रजा में खौफ का माहौल


एक दिन एक लड़की अपने घर में सो रही थी। तभी वहां पर प्रेत जैसा दिखने वाला प्राणी उसके घर में घुस गया।

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उसके बाद वो प्रेत उसको अपनी हवस का शिकार बनाकर उसके गले पर काट लेता है। और उसका खून चूसकर उसे मार डालता है।

उसके बाद तो जैसे सिलसिला ही इसका शुरू हो गया।

आये दिन किसी न किसी आदमी या औरत की लाश मिलती थी। हर लाशों के गले पर दांत के निशान मिलते थे।

तब सभी ने ये प्रेत जैसे दिखने वाले प्राणियों का नाम रक्त पिशाच रखा। ये तो बस रक्त पिशाचों के कहर की शुरुवात थी।

पिशाचों के डर से अब रात में लोगों ने बाहर निकलना भी बंद कर दिया था। क्योंकि पिशाच रात को ही बाहर आते थे।

पिशाचों को जो लड़की या औरत पसंद आती थी। वो उन्हें अपने हवस का शिकार बनाकर उनका खून पीकर उन्हें मार डालते थे।

और जब कोई आदमी या औरत उन्हें ज्यादा पसंद आ जाता था। तो वो उन्हें काटकर अपने जैसा बना देते थे।

जिससे फिर वो आदमी या औरत अब इंसान नहीं रहते थे वो उनके साथ ही चले जाते थे।

और उन्ही पिशाचों की तरह पिशाच बनकर इंसानों का खून पीते थे।

राजा की आज्ञा पर सेनापति ने क्या किया


ये बात हमारे राजा को जैसे ही पता ही चली।

उन्होंने इस बात की तहकीकात करने लिए अपने सिपाहियों को इस बात की सच्चाई पता लगाने के लिए भेज दिया।

उन्ही सिपाहियों के सेनापति जिनका नाम सत्यप्रकाश सिंह था। वो बहुत बहादुर और निडर थे। (Thriller vampire ghost story in hindi)

उन्होंने राजा की आज्ञा का पालन करते हुए इस बात के तह तक जाने का विचार बना लिया।

ये राज्य में अपना भेष बदलकर प्रजा के बीच चले गए। और वहां उनको पिशाचों के खौफ का कहर का पता चला।

इस बात में सच्चाई है या नहीं ये जानने के लिए 5 सिपाहियों को जंगल में भेज दिया।

इन्हे लगा की कोई शायद खूंखार जानवर हमारे राज्य में घुस आया है।

सिपाहियों ने जंगल में क्या देखा


जंगल में चारों तरफ सनाट्टा और अँधेरा था। जब वो 5 सिपाही जंगल में थोड़ी दूर पहुंचते हैं।

तो उन्हें किसी इंसान की चीखने की आवाज सुनाई देती है। वो उस आवाज के पीछे दौड़कर जाते हैं।

और वो देखते हैं की कोई उस इंसान का खून पी रहा है। ये देखकर वो अपना भला लेकर उसकी तरह दौड़ते हैं।

पर वो अचानक कहीं गायब हो जाता है। और वो इंसान मर चूका होता है।

ये सिपाही कुछ सोच पाते की वो क्या बला थी। उससे पहले सबसे पीछे खड़ा उनका सिपाही गायब हो जाता है।

और थोड़ी देर में इनके ऊपर ही उस सिपाही की लाश गिरती है। जिसके गले में वही काटने का निशान था।

ये देखकर चारों सिपाही बहुत डर जाते हैं। वो हर तरफ देखने की कोशिश करते हैं पर उन्हें कुछ नजर नहीं आता।

तभी सामने से बहुत तेजी से एक पिशाच उन पर हमला करता है। और एक सिपाही को पकड़कर उसका खून चूसने लगता है।

बाकी सिपाही उस पर अपना भाला चलाते हैं। पर उसे कुछ नहीं होता।

तभी पीछे से एक और औरत पिशाच उसमे से एक सिपाही पर हमला कर उसे मार डालती है।

बाकी के दो सिपाही अपनी जान बचाकर बहुत तेजी से वहां से भागते हैं।

पर उन्हें नहीं पता उनका पाला आज किससे पड़ा है। वो पिशाच चुटकी भर में ही दोनों को मार डालते हैं।

सेनापति ने क्या फैसला लिया


जब सुबह होती है और सिपाही वापस नहीं आते। तब सेनापति सत्यप्रकाश को ये बात खटकती है।

और इस बात का पता लगाने के लिए वो खुद सुबह उस जंगल में जाते हैं।

और उन्हें वहां उन 5 सिपाहियों की लाशें अलग अलग जगहों पर खून से लटपट मिलती हैं।

तब सेनापति को लगता है वो पिशाच शायद सच में हैं। और वो शायद इसी जंगल में हैं।

इसलिए वो वापस जाते हैं। और करीब 25 सिपाहियों के साथ वापस जंगल में आते हैं।

क्योंकि और सिपाही राजा की आज्ञा पर पूरे राज्ये में फैले हुए थे। इसलिए सेनापति के पास उस समय सिर्फ 25 सिपाही और बचे थे।

सेनापति जंगल में वापस आकर 25 सिपाहियों के जरिये जाल बनाते हैं। ताकि पिशाचों को फसाया जा सके।

वो घड़ी भी आ जाती है जो सेनापति सहित उन 25 सिपाहियों की ज़िन्दगी और मौत तय करने वाला था।

क्या हुआ सेनापति और 25 सिपाहियों का


रात होती है और सारे सिपाही छुपे रहते हैं। पर पिशाचों के आगे एक भी जाल इनका साथ नहीं दिया।

पिशाचों ने सिपाहियों के खून को सूंघ लिया था। और वो जहाँ छुपे थे वहां पहुंचकर उन्हें मारने लगे। धीरे-धीरे सिपाहियों में भगदड़ मची।

तब सेनापति ने उन्हें अपने पास आकर एक जुटकर होकर पिशाचों से लड़ने को कहा।

जब बचे सिपाही सेनापति के पास आकर खड़े हुए तो उनकी गिनती 25 से 13 हो चुकी थी।

तभी उन्हें चारों तरफ से अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देने लगी।

उसके बाद एक बाद एक सिपाहियों को जमीन से पेड़ों पर खींच कर पिशाच ले जाने लगे।

सेनापति तब सिपाहियों को पेड़ों से दूर खड़े होने को कहा और कहा वो ऊपर ही हैं अपने हथियार तैयार रखो।

अब तक सिपाहियों की संख्या 6 हो चुकी थी।

तभी 3 पिशाचों ने उन्हें उन पर सामने से हमला कर दिया। सिपाहियों ने अपनी पूरी ताकत से उनसे लड़ने की कोशिश की।

पर उनके हथियार उन रक्त पिशाचों के आगे कुछ भी नहीं थे।

उन पिशाचों ने एक-एक करके सेनापति सहित सारे सिपाहियों का खत्म कर दिया।

कुछ दिन बाद राजा ने इन पिशाचों का तोड़ ढूंढ लिया। फिर उन पिशाचों का मारा जाने लगा। धीरे-धीरे पिशाच गायब होने लगे।

पर कहते हैं पिशाच आज भी हमारे बीच इंसानों की तरह ही रह रहे हैं। वो समय आने पर ही बाहर आते हैं। (Vampires Horror Story In Hindi)